सब कुछ माटी से आती है, फिर माटी में मिल जाती है ।
गर्व तू किसका करता वन्दे, क्यों ऐसे इठलाता वन्दे ।
बचपन और जवानी का, या फिर हीरे मोती का।
बूढ़े होते कमर झुकेगी, हीरे मोती साथ न देगी।
बीमारी में रोते रोते, यो ही बुढ़ापा कट जायेंगी ।
चार दिनों का जीवन तेरा, फिर माटी में मिल जायेगी ।
माटी से ये बना शरीरा, माटी में ही मिल जायेगी ।
माटी में ही मिल जायेगी ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम
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