उम्र पचास भी कोई उम्र होती है, जवानी ढलने की ये तो शुरुआत है ।
बाल बच्चे अभी भी आपकी आश्रय में हैं, कालेज अभी जा ही रहे हैं ।
बिटिया शादी के लायक भी नहीं हुई है, दस वर्ष नौकरी अभी बाक़ी है ।
यही तो उम्र है लहलहाती फसल को काटने की, अभी तो आप जवान हैं ।
फ़िक्र न करें अभी से, बुढापा आना अभी बांकी है ।
हॅसते मुस्कुराते गुनगुनाते रहें, अपनों के साथ मस्ती में रहें ।
दूसरी पाली आने में अभी बहुत देर है, ढलती जवानी का मजा लेते रहें ।
हो सके तो अभी से अपने बुढ़ापे के लिये खुद प्रबंध कर लें ।
बच्चों का क्या भरोसा भविष्य में वो कहाँ और आप कहाँ रहें ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम
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