आये थे अकेला जाना है अकेला, यही तो जिंदगी दो दिन का मेला ।
बचपन बीता आयी जवानी, खुशबू बन आयी तूम घर में ।
एक से हम दो हो गये ,दो होकर भी एक रहे हम।
बच्चों की किलकारी घर में, खुशियाँ लायी जीवन में ।
खुशी खुशी जीवन है बीता,क्यों रोयें हम जीवन में ।
बच्चे खुश हैं अपने घर में, हम भी खुशी मनाये घर में ।
छोड़ आश अब बच्चों की, ये दुनियाँ है हम दोनों की।
हर रोज दिवाली हो घर में, होली जैसी रंगीनी हो।
साथ साथ मिलकर घर में, हम खुशी मनाये जीवन में ।
हम खुशी मनाये जीवन में ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम
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