हमें आज अपनों से ही ये हिसाब चाहिये ।
बेटे बेटियों से किया भेदभाव जबाब चाहिये ।
बहूके साथ किया अन्याय इसका जबाब चाहिये ।
बेटों को पढ़ाया बेटियों को घरेलू बनाया ।
अनपढ़ रखकर जीवन भर रूलाया।
हमें अपनों से इस सबका हिसाब चाहिये ।
इस बदलती दुनियाँ में हमें भी जीने का अधिकार चाहिये ।
हमें भी जीने का अधिकार चाहिये ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम
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