करोना आकर इस दुनियाँ में, इनसानो को बहुत रुलाया ।
देख लो अब भी और संभल जा, करोना शिक्षक बनकर आया ।
धन दौलत और सोना चाँदी, काम न आया उस सज्जन का।
करोना जब उसको आ जकड़ा, धरा रह गया यहीं रूपैया ।
घर में बैठा उनका बेटा, कंधा देने को नहीं आया ।
जिसकी शादी में आये थे, बन बाराती सैकड़ों अपने ।
उसकी अर्थी पड़ी है घर में, नहीं मिल रहे चार भी कंधे।
डाक्टर और दवाई वाले, बीमारो को लूट रहे हैं ।
लाशों से वे करे कमाई, इनसानीयत को भूल गये हैं ।
खुद जब करोना उसे रूलाई, फिर भी अकल उन्हें न आयी।
डाक्टर नर्स हजारों मर गये, करोना से जो किये कमाई ।
धरा रह गया यहीं खजाना, लूटा धन भी काम न आया ।
दूसरे साथी डाक्टर नर्स, फिर भी उससे सबक न पाया ।
हाय हाय कर लूट रहा है, सारे जग को रूला रहा है ।
नहीं जाग रही आत्मा उनकी, इनसा नहीं वो सूअर है।
टीप टौप कपड़ों में रहकर, कीचड़ वाला सूअर है।
मुरदों से जो करे कमाई, इनसा नहीं वो सूअर है ।
इनसानीयत से बढ़कर जग में, नहीं धरम कोई दूजा है ।
इनसानीयत से बढ़कर जग में, नहीं धरम कोई दूजा है ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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