आसमां पर जन्नत है, ये हमारी कल्पना है ।
जमी पर ही जन्नत है, यही बस हकीकत है ।
माँ बाप के साये में खुशियों का खजाना है ।
नदी नालों व झरनों में, यहाँ मधुर संगीत है।
खेत खलिहान बाग बगीचों में, कोयल की गान है ।
मंदिर की घंटियों व मस्जिद के अजानो में ये पैगाम है ।
यहीं जमीन पर जन्नत है , यहीं खुदा व भगवान है ।
यहीं घर घर में बच्चों की किलकारी और मुस्कान है ।
यहीं तो वो परियों की शहजादी और हूरों का वास है ।
इसी जमीन पर ही जन्नत है, बस यही हकीकत है ।
इसी जमीन पर ही जन्नत है, बस यही हकीकत है ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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