माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ,
बाबा की प्यारी गुड़िया, मम्मा तेरी दुलारी बिटिया ।
दादा की फुदकी चिडैया, दादी की छुटकी गौरैया ।
कल तक घुटने घुटने चलती थी, फ्राक पहन स्कूल जाती थी ।
भाई से लड़ाई करती और उसे खूब सताती थी।
पर माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ ।
कल ही तो व्याह हुआ है मेरा, मैं अब लड़की से बहू बन गयी हूँ ।
कल तक जो तेरी हाथों की बनी बनायी रोटियाँ खाती थी।
उस पर भी सौ नखरे दिखाती थी, आज खुद रोटी बना रही हूँ ।
माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ ।
देर रात तक जगने वाली, तेरी वो नटखट बिटिया ।
सुबह देर तक सोने वाली, और ढेर सारे नखरे दिखाने वाली ।
अब भी देर रात को सोती हूँ, पर घर के सारे काम निपटा कर ।
सुबह सवेरे ही उठ जाती हूँ, रसोई जल्दी से बनाती हूँ ।
उन्हें नाश्ता खिलाकर, लंच बाक्स पैक कर देती हूँ ।
माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ ।
तुम्हारे लाड ने मुझे गुड़िया ही बना रक्खा था।
बिटिया अभी छोटी है, धीरे-धीरे सब सीख जायेगी ।
पर माँ वहाँ मैं सदा गुड़िया ही बनी रही, कभी तुम्हें सहारा नहीं दे पायी ।
आज मुझे बहुत रोना आता है, वहाँ मैं क्यों न बड़ी बन सकी।
तुम्हारी हाथों की बनी बनायी रोटियाँ ही खाती रही ।
माँ ऐसा क्यों होता है, बेटी परायी होते ही क्यों बड़ी हो जाती है ।
माँ अब मैं सचमुच ही बड़ी हो गयी हूँ।
तुम्हारी लाडली अब गुड़िया नहीं, गुड़िया की माँ बन गयी हूँ ।
माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ । माँ अब मैं बड़ी हो गयी हूँ ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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