आज बेटियों के लिये एक योग्य, शिक्षित, संस्कारी, खानदानी और गुणवान वर ढूढना जितनी मुश्किल हो गयी है, उससे भी अधिक घर में सुसंस्कारी, पढ़ी लिखी, खानदानी, सुन्दर और सुशील वधु लाना। शेखर बाबू भी ऐसे ही एक सुशील कन्या, अपने होनहार मल्टी नेशनल कारपोरेट मे काम करने वाले बी टेक बेटे अभय के लिये ढूँढ रहे थे। दो साल पहले ही उन्होंने अपनी इन्जीनियर कमाऊ बेटी मोनिका की शादी एक सुसंस्कृत परिवार के मल्टी नेशनल कारपोरेट मे काम करने वाले इंजीनियर से दूसरे शहर में किये थे।
मोनिका अपनी ननद के बेटे की शादी में पिछले महीने उसकी ससुराल गयी थी। वहीं उसने एक सुसंस्कृत परिवार की सुन्दर पढ़ी लिखी कन्या माधवी से मिली। वह भी वहाँ अपने मौसेरे भाई की शादी में अपने परिवार के साथ आयी थी। दोनों हम उम्र थी, अतः एक ही दिन में दोनों की दोस्ती हो गयी। मोनिका माधवी के बारे में अपनी ननद से पूरी जानकारी जुटा ली। माधवी के पिता कर्नल अनिल फौज से अवकाश प्राप्त हैं और उसका भाई मोहित भी फौज में मेजर है। माधवी भी बी टेक के बाद नौकरी कर रही है । उसे वह अपने भाई के लिये उपयुक्त संगनी लगी। उसने अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दे दी ।
शेखर बाबू अपने पत्नी और बेटे से विचार विमर्श किये और कन्या को देखने के लिये उसके परिवार से संपर्क कर, निश्चित तिथि को समय से कुछ पहले ही परिवार सहित मिलने पहुँच गये । माधवी के माता-पिता मेहमान की आवभगत के लिये मिठाई खरीदने बाजार गये हुए थे । घर में उस समय माधवी अकेले ही थी। मेहमान के अकस्मात आने पर उसने उन्हें ड्राइंग रूम में बिठायी और झटपट नींबू का शरवत बना कर उन्हें दिया और पास बैठ गयी । माधवी को असहज देख कर सविता देवी उसे प्यार से बोली । बेटी घबराओ नहीं हम लोग आपसे ही मिलने आये हैं। मोनिका ने हमें तुम्हारे बारे में सारी बातें बता दी है, हमें तो कुछ पूछना नहीं है, पर तुम्हें हम सब कुछ बतायेंगे और उससे आगे तुम जो कुछ भी जानना चाहोगी हम तुम्हें जरूर बतायेंगे।
यह मेरा तीस साल का बेटा अभय है। मल्टी नेशनल कारपोरेट में बी टेक के बाद नौकरी कर रहा है । हमारी बेटी मोनिका से तुम मिल ही चुकी हो। ये अभय के पिता अवकाश प्राप्त स्कूल प्रिन्सिपल हैं और मैं होम मेकर सविता देवी। हमारा अपना घर द्वार है और गृहस्थी की सारी सुख सुविधा से भरपूर है। घर में घरेलू काम करने वाली बाई आती है, पर रसोई मैं खुद बनाती और खिलाती हूँ । हमलोगों को तुम और तुम्हारा परिवार पसंद है। बांकी तुम्हें और जो जानकारी चाहिये, तो अभय को अपना गार्डेन दिखाओ और एक दूसरे को समझ लो। अगर तुम्हारी सहमति होगी, तो हम लोग तुम्हारे माता-पिता से तुम्हारा हाथ मांगगे। माधवी ये सब सुनकर मुस्कुराते हुए सोफे से उठकर अभय के साथ बाहर गार्डेन घूमने चली गयी।
कुछ समय बाद माधवी के माता-पिता बाजार से लौट आये और घर में पहले से ही बैठे मेहमानों को देखकर हैरान हो गये। शेखर बाबू और सविता देवी दोनों उठकर एक दूसरे को हाथजोर कर नमस्ते किये। तभी माधवी अभय के साथ मुस्कुराते हुए ड्राइंग रूम में प्रवेश की और अपने माता-पिता से बोली, पापा आपलोग मेहमानों से बातें करें, तबतक मैं चाय नाश्ते का प्रबंध करती हूँ और वह गुनगुनाते हुए कीचन में चली गयी ।
अनिल कुमार शेखर परिवार से आगे वो सारी जानकारियां ली, जो एक बेटी के बाप के लिये जरूरी होती हैं। जिससे उन्हें तसल्ली हो जाये कि उसकी बेटी अपने होने वाले ससुराल में ताजीवन सुखी और खुशहाल रहेगी । तभी नाश्ते मिठाई और गरमा गरम चाय लेकर माधवी ड्राइंग रूम में आयी। दोनों परिवारों ने एक दूसरे का मुँह मीठा कराये और रिश्तों को आगे बढ़ाने की मोहर लगा दी ।
माधवी और अभय उस दिन से आपस में मोबाइल पर बातें करते और अपने भविष्य के सपने बुनते। दो महीने बाद दोनों का विवाह सीधे सादे किन्तु धूमधाम से बिना दहेज की हो गयी । आस पड़ोस के लोगों के लिए यह शादी एक मिसाल बन गयी । आज वर्षों बीत गये हैं, दोनों परिवार खुशहाली से जीवन जी रहे हैं ।
सच्चाई पर आधारित पर नाम कपोल कल्पित । हमे आशा है कि माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षित और संस्कारित करेंगे और दकियानुशी रति रिवाजों को छोड़कर बिना दान दहेज की शादी कर समाज में औरों के लिये प्रेरणा बनेंगे ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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