स्नेह से ओत-प्रोत ये घर,
वट-वृक्ष के नीचे पूरा परिवार ।
प्यार और दुलार से सराबोर,
हमारे सपनों का यह संसार ।
घनी घनी डालियों के बीच,
छोटे बड़े रसीले मीठे फल।
कुदरत से दुआ है हमारी,
हॅसते मुस्कुराते रहें हर पल।
सुरेश की आशा है अपनों से,
कभी मिलते भी रहें पल दो पल।
बागों के बीच खिलती ये कलियाँ,
चमन में बहार सी लायी है।
मंडराते हैं भौरे व तितलियाँ ।
फूलों से भरी इन बागों में ,
अठखेलियां करती ये तितलियाँ ।
आसमां में उड़ती ये झुण्डो में,
चिड़ियों की अलग-अलग टोलियाँ ।
इस बूढ़े बरगद पर आराम करती हैं ,
हमें हमारे होने की एहसास दिलाती है ।
ये चमन, चिड़ियां व तितलियाँ,
इन बागों की बहारे हैं ।
हमारे बच्चे हमारा परिवार,
हमारे जीवन के सहारे हैं ।
हमारे जीवन के सहारे हैं ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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