बेटी और बहू की पूरी कहानी लिखी है चन्द लफ्जों में ।
मायके में बेटियों का अल्हड़पन और बहू की जिम्मेदारी ।
क्या खूब सजाकर रख दी है पूरी की पूरी जिन्दगानी ।
माँ का लारदुलार ,डांट डपट और उनकी झिरकी।
सब कुछ तो लिखा है, बेटियों को सुघढ़ बनाने की ।
माँ की बातों का अनसुना करना, बेटियों की तुनकमिजाजी।
बहू बनते ही जिम्मेदारी का एहसास होना और निभाना ।
अपनी बचपने को याद कर, स्त्री की गरिमा को पहचानना ।
सचमुच ही तुम्हारी ये लेखनी है एक बेहतरीन रचना ।
सचमुच ही तुम एक अच्छी बेटी और सुघढ़ बहू हो।
मायके और ससुराल वाले दोनों घरों की शान हो।
महिला और पूरी महिला जाति का सम्मान हो।
पूरी महिला जाति का सम्मान हो ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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