थे मजबूत पिता के कंधे,
जिसपर चढ़ हम मेला घूमे।
बाजू में थी इतनी ताकत ,
कभी न थकते थे कामों से।
पैरों में थी इतनी ताकत,
बिना थके कोसों चलते थे।
सर ऊँचा कर हमें उठाया,
नहीं कभी वो हमें रुलाया।
ऐसे ही थे महान पिता जी,
पर तो अब लाचार पिता जी ।
बेटों ने बंटवारा कर ली,
माँ से अलग रह रहे पिता जी ।
बंटवारे ने बांट दिया है,
बूढ़ी माँ लाचार पिता जी ।
बूढ़ी माँ लाचार पिता जी ।
बूढ़ी माँ लाचार पिता जी ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम आदरणीय ।
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