धरम ही आधार जगत का, धरम ही पतवार जगत का।
धरम करम है जीवन धन का, धरम हमारा परहित जन का।
मान सम्मान धरम है जग का, दुख सुख में है साथ धरम का।
कोई बड़ा नहीं कोई छोटा, सभी बराबर सब धर्मों का।
एक गुरूननक एक ही रामा, एक येशू है एक रहीमा।
नानक दुखिया सब संसार, एक ही सबके तारन हार।
कहाँ बसे संतन सब साईं, कहाँ बसे रघुवर गोसाई ।
काशी काबा वेटिकन जाना, बेथलहम और कहाँ मदीना।
अलग नाम और धाम अलग है, सबके सब यह है अशियाना।
जनमानस शाही फकीर सब, राजा रंक भिखारी ।
एक जगह सब हुए बराबर, चार कंधों पर भारी ।
मिट्टी नीचे दबे हैं कोई, जले आग के ऊपर कोई ।
नहीं किसी का महल अटारी, और न सेवक चारी।
कहे सुरेश सब सज्जन से, कौन धरम पे भारी।
बृथा गवायो जीवन सारा, धरम धरम कर मारी।
जीते जीवन धरम न जानो, मानव प्रेम धरम पे भारी ।
धरम एक ही इस धरती पर, मानव धरम हमारी।
मिलजुलकर इनसान बसे जग, धरती स्वर्ग से प्यारी।
गुणीजन धरती स्वर्ण से प्यारी, जहाँ पर प्रेम की भाषा न्यारी।
गुणीजन धरती स्वर्ग से प्यारी, जहाँ पर प्रेम की भाषा न्यारी ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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