हे वीर हमारे अपने तुम,
माँ के सपूत दुलारे तुम ।
बाबा के संबल सदा रहे,
क्यों छोड़ कहाँ तुम चले गये ।
थी घर घर में दिवाली जब,
फुलझड़ियों की चिंगारी जब।
जहाँ धूम मची थी पटाखो की,
पर तुम खेल रहे थे गोली से।
तुम जूझ रहे थे सीमा पर।
तम के घनघोर अंधेरों में,
अटल रहे तुम सीमा पर ।
पर छोड़ कहाँ तुम चले गए ।
इतना तो कहकर जाते तुम,
हमसे भी बढ़कर है कोई ,
ये नाम बताकर जाते तुम ।
बहनों के हाथ से राखी अब,
पहनेगा कौन तुम हमें बता ।
कितना निष्ठुर होकर तुम,
हम सबको रोता छोड़ गया ।
इतना प्यारा था वतन तम्हें,
जो हमें अकेला छोड़ गया ।
तुम हमें अकेला छोड़ गया ।
हे वीर देश के रक्षक तुम,
बच्चों को रोता छोड़ गया ।
माँ बाबा और बहना का क्या ,
पत्नी तक को तुम भूल गया।
तुम हमें अकेला छोड़ गया ।
तुम हमें अकेला छोड़ गया ।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम ।
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