औरत बेटी-बहन और माँ है।
सारे जहाँ का सम्मान है।
उसकी महिमा अपार है।
वह है तो ये हरा भरा संसार है।
क्योंकि वह है तो थाली में गर्म रोटी है।
ममता की ठंडक है, प्यार की ऊष्मा है।
उससे ही घर में संझा बाती है घर, घर है।
घर लौटने की इच्छा है, घर की वो धूरी है।
उनकी रसोई में भगवान का भोग है।
उससे ही पूजा की थाली है।
रिश्तों के गाँठ, पड़ोसी से प्यार है।
घर की घड़ी सोना जागना है।
होली दिवाली और तीज त्यौहार है।
रोशनी है, खिडक़ी है, ममता का आँचल है।
प्यार का समंदर, घना आकाश है।
अंधेरी रातों में चमकता चाँद है।
माँ ही तो है जो सारे जहाँ का सम्मान है।
मरते दम तक हमारी छाँव है।
उनके गोदी में दुनियाँ का हर सुख है।
वह है तो हम महान हैं, उनके बिना बेजान हैं।
उनके पैरों में जन्नत है भगवान है।
उनके पैरों में जन्नत है भगवान है।
जयहिन्द जयभारत वन्देमातरम।
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